इस चुनावी वर्ष के बीच बिहार विधानसभा में मुख्य विरोधी दल राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) को मंगलवार को उस वक्त झटका लगा जब उसके राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। रघुवंश प्रसाद सिंह इन दिनों स्वास्थ्य संबंधी बीमारी की वजह से वह पटना स्थित एम्स अस्पताल में भर्ती हैं और वहीं से उन्होंने अपना इस्तीफ़ा पार्टी सुप्रीमों को भेजा। इसके साथ ही विधान परिषद के पांच सदस्यों ने भी पार्टी छोड़कर नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जदयू का दामन थाम लिया। जिससे विधान परिसद में लालू की राजद पार्टी की संख्या महज 3 ही रह गयी हैं।
इसके साथ ही लालू की पत्नी व बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी का विधान परिषद में नेता विपक्ष का पद जाना तय है। राज्य की 75 सदस्यीय विधान परिषद में विपक्ष के नेता पद के लिए आठ सीटें चाहिए होती है जबकि आरजेडी के पास अब महज तीन सीट ही रह गयी हैं।
प्रदेश की मौजूदा राजनीतिक हालात को देखकर यह माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव में पार्टी की करारी हार के बाद लालू प्रसाद के छोटे बेटे और नेता
विपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव के युवा नेतृत्व को यह अब तक का सबसे करारा झटका है। यह झटका इसलिए भी सत्ता के गलियारों में जोर सोर से उछल रहा है क्योंकि रघुवंश प्रसाद को लालू के परिवार का बेहद करीबी माना जाता था। बता दें कि रघुवंश प्रसाद पार्टी में नंबर दो की हैसियत रखते थे लालू बिना उनसे सलाह मशवरा किये कोई भी राजनीति कदम नहीं उठाते थे।
वही हाल में राजद छोड़ने वाले विधान परिषद सदस्यों में मो. क़मर आलम, संजय प्रसाद, दिलीप राय, राधा चरण सेठ और रणविजय सिंह हैं। इसकी पुष्टि स्वयं विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह की। ये सभी नेता अब नीतीश कुमार की जेडीयू में शामिल होंगे।
इस्तीफा देने वाले सभी विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) लालू प्रसाद यादव के करीबी माने जाते है। यह सभी आरजेडी की मौजूदा वंशवाद की राजनीति और तेजस्वी यादव के नेतृत्व से परेशान थे। बात दे कि 7 जुलाई को बिहार के विधान परिषद की 9 सीटों पर चुनाव होने वाले हैं।
सूत्रों के अनुसार आरजेडी की ओर से लालू के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को प्रत्याशी बना सकती है। चर्चा तो यह भी है की लालू के जेल जाने से पार्टी में भीतरवाद बढ़ गया है और तमाम अनुभवी नेताओ को तेजस्वी के नेतृत्व पे भरोसा नही हैं।
तो वही आरजेडी के कोर वोटर समझे जाने वाले अल्पसंख्यक, यादव और पिछड़ों समाज का विधान परिषद में प्रतिनिधित्व करने वाले तीनों कद्दावर नेताओं दिलीप राय , संजय प्रसाद, मो. क़मर आलम, साथ ही अति पिछड़ा और सवर्ण समाज से आने वाले रणविजय सिंह और राधा चरण सेठ का चुनावी वर्ष में पार्टी छोड़ जदयू में चले जाने के कारण से आरजेडी के लिए चुनौती गंभीर होती नजर आ रही है। पार्टी को अपना वोट बैंक सरकता हुआ दिख रहा है। जिससे लालू के MY(मुस्लिम+यादव) समीकरण के टूटने के भी आसार लग रहे हैं।वही राजद में हाल ही में शामिल हुए रामा सिंह के आने से रघुवंश प्रसाद नाराज हो गए।
पार्टी के विभिन्न पदों से इस्तीफा देने के बाद रघुवंश प्रसाद सिंह ने एलान किया है कि वे पार्टी में बने रहेंगे लेकिन कोई पद नहीं लेंगे। सत्ता के गलियारों में यह चर्चा है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह की पार्टी से नाराजगी का कारण लोक जनशक्ति पार्टी के पूर्व सांसद व बाहुबली रामा सिंह के राजद में शामिल किया जाना है। बात दे की वर्ष 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में वैशाली संसदीय क्षेत्र से रामा सिंह एनडीए के उम्मीदवार थे और तब उन्होंने रघुवंश प्रसाद को हराया था। रामा सिंह ने तब राम विलास पासवान की लोजपा से चुनाव लड़ा था।